मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को नहीं मिला सेवा विस्तार, तीन अक्टूबर को समाप्त होगा कार्यकाल
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मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को नहीं मिला सेवा विस्तार, तीन अक्टूबर को समाप्त होगा कार्यकाल

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को नहीं मिला सेवा विस्तार

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को नहीं मिला सेवा विस्तार, तीन अक्टूबर को समाप्त होगा कार्यकाल

नई दिल्ली: मेघालय के मौजूदा राज्यपाल सत्यपाल मलिक को अगला सेवा विस्तार नहीं मिला है.
अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल बी. डी. मिश्रा को मेघालय के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. मेघालय के मौजूदा राज्यपाल सत्यपाल मलिक का कार्यकाल तीन अक्टूबर को पूरा हो रहा है. यह जानकारी राष्ट्रपति भवन ने शनिवार को एक विज्ञप्ति में दी. गौरतलब है कि मलिक अब निरस्त हो चुके कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार विरोधी टिप्पणियों को लेकर सुर्खियों में रहे थे.

सत्यपाल मलिक (76) अगस्त 2020 में मेघालय स्थानांतरित किए जाने से पहले बिहार, जम्मू कश्मीर और गोवा के राज्यपाल रहे थे. राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) (डॉ.) बी.डी. मिश्रा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए नियमित व्यवस्था होने तक मेघालय के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी संभालेंगे. 

विज्ञप्ति में कहा गया है कि सत्यपाल मलिक सोमवार को अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं. मलिक, संविधान का अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के दौरान, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे. पूर्व राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था. इस प्रकार, वह तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल थे. उन्हें 2017 में बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. जम्मू-कश्मीर के बाद, मलिक को गोवा और अंत में मेघालय के राज्यपाल का कार्यभार सौंपा गया था.

किसान आंदोलन के समय, केंद्र सरकार के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयान देने के बाद वह विवादों में घिर गए. मलिक ने अपने एक बयान में दावा किया था कि जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, उनके समक्ष दो फाइलें आईं थीं. उन्हें देश के एक प्रमुख व्यापारिक घराने और एक राजनीतिक दल के प्रतिनिधि द्वारा भारी रिश्वत की पेशकश की गई थी. हालांकि, इस सिलसिले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दो मामले दर्ज किए थे.

उत्तर प्रदेश में बागपत के रहने वाले मलिक 1980-89 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे. हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट में उनके हवाले से कहा गया था कि वह अपनी सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी राजनीतिक दल में शामिल नहीं होंगे लेकिन किसानों के लिए काम करना जारी रखेंगे.